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Hartalika Teej 2023 Shubh Muhurat Time: हरतालिका तीज पूजा शुभ मुहूर्त 2023:-
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल हरतालिका तीज की तिथि की शुरुआत 17 सितंबर 2023 को सुबह 11 बजकर 08 मिनट हुई है और जिसका समापन 18 सितंबर 2023 को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर होगा। ऐसे में हरतालिका तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 18 सितंबर को सुबह 06 बजकर 07 मिनट से 08 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। हालांकि हरतालिका तीज की पूजा प्रदोष काल में करने का विधान होता है।हरतालिका तीज पूजा विधि (Hartalika Teej Puja Vidhi):-
- पूजा स्थल पर फुलेरा लगाएं. केले के पत्तों से मंडप बनाएं.
- गौरी-शंकर की मूर्ति पूजा की चौकी पर स्थापित करें. गंगाजल, पंचामृत से उनका अभिषेक करें.
- गणेश जी को दूर्वा और जनेऊ चढ़ाएं. शिव जी को चंदन, मौली, अक्षत, धतूरा, आंक के पुष्प, भस्म, गुलाल, अबीर, 16 प्रकार की पत्तियां आदि अर्पित करें.
- मां पार्वती को सुहाग की सामग्री चढ़ाएं. अब भगवान को खीर, फल आदि का भोग लगाएं.
- हरतालिका तीज पर सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें. जो लोग सुबह पूजा करते हैं वह शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें.
- हरतालिका तीज के सूर्यास्त के बाद शुभ मुहूर्त में पूजा श्रेष्ठ होती है.
- पूजा से पहले सुहागिन स्त्रियां सोलह श्रृंगार कर बालू या शुद्ध काली मिट्टी से शिव-पार्वती और गणेश जी की मूर्ति बनाएं.
- धूप, दीप लगाकर हरतालिका तीज व्रत की कथा सुनें. आरती कर दें.
- रात्रि जागरण कर हर प्रहर में इसी तरह पूजा करें. अगले दिन सुबह आखिरी प्रहर की पूजा के बाद माता पार्वती को चढ़ाया सिंदूर अपनी मांग में लगाएं.
- मिट्टी के शिवलिंग का विसर्जन कर दें और सुहाग की सामग्री ब्राह्मणी को दान में दें. प्रतिमा का विसर्जन करने के बाद ही व्रत का पारण करें.
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हरतालिका तीज की व्रत कथा(Hartalika Teej 2023 Vrat Katha):-
शास्त्रों के अनुसार, हिमवान की पुत्री माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए हिमालय पर्वत पर अन्न त्याग कर घोर तपस्या शुरू कर दी थी। इस बात से पार्वतीजी के माता-पिता काफी चिंतित थे। तभी एक दिन देवर्षि नारद जी राजा हिमवान के पास पार्वती जी के लिए भगवान विष्णु की ओर से विवाह का प्रस्ताव लेकर पहुंचे। माता पार्वती शिव से विवाह करना चाहती थी अतः उन्होंने यह शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया।पार्वती जी ने अपनी एक सखी को अपनी इच्छा बताई कि वह सिर्फ भोलेनाथ को ही पति के रूप में स्वीकार करेंगी। सखी की सलाह पर पार्वती जी ने घने वन में एक गुफा में भगवान शिव की आराधना की। भाद्रपद तृतीया शुक्ल के दिन हस्त नक्षत्र में पार्वती जी ने मिट्टी से शिवलिंग बनकर विधिवत पूजा की और रातभर जागरण किया। पार्वती जी के तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया था।
सुहागिन महिलाओं और विवाह योग्य हो चुकी महिलाओं के लिए हरतालिका तीज पर्व का विशेष महत्व होता है। हरतालिका तीज पर महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा-आराधना दिनभर करती हैं।