चंद्रमा की सतह को चंद्रमा की कक्षा से जोड़ने के लिए एक मिनट पहले लैंडर 'विक्रम' का ग्राउंड स्टेशन से संपर्क करने के बाद इसरो के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में सुरक्षित है। अधिकारी ने 'पीटीआई' से कहा, ''ऑर्बिटर मून की कक्षा पूरी तरह से ठीक और सुरक्षित है और सामान्य तरीके से काम कर रही है।'' 2379 ऑर्बिटर के मिशन का जीवन काल एक साल है। उल्लेखनीय है कि 22 जुलाई को 3,840 वजनी चंद्रयान-2 को जीएसएलवी एमके-3 एम1 रॉकेट से लॉन्च किया गया था।
चंद्रयान-2 ने पृथ्वी की कक्षा को चंद्रमा की ओर से अपनी यात्रा 14 अगस्त को इसरो द्वारा 'ट्रांस लूनर इंसर्जन' नाम की प्रक्रिया को लागू करने के बाद शुरू की थी। यह प्रक्रिया अंतरिक्ष यान को 'लूनर पोस्टर ट्रेजेक्ट्री' में नामांकन के लिए दी गई। अंतरिक्ष यान 20 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा था। चंद्रयान-2 के 'ऑर्बिटर' में चंद्रमा की सतह का मानचित्रण और पृथ्वी के उपग्रह के उपग्रह परिमंडल का अध्ययन करने के लिए आठ वैज्ञानिक उपकरण हैं। इसरो ने दो सितंबर को ऑर्बिटर से लैंडर को अलग करने में सफलता पाई थी, लेकिन शनिवार को ऑर्बिटर विक्रम स्टेशन से संपर्क टूट गया था। इसरो ने कहा है कि वह आंकड़ों का विश्लेषण कर रही है।
importants facts:-
- यह अंतरिक्षयान इस समय धरती के निकटतम बिंदु 169.7 किलोमीटर और धरती से दूरस्थ बिंदु 45,475 किलोमीटर पर पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगा रहा है।
- यह उड़ान GSLV मार्क III की प्रथम परिचालन उड़ान है।
- उल्लेखनीय है कि इसका प्रक्षेपण 15 जुलाई, 2019 को ही किया जाना था लेकिन कुछ तकनीकी समस्याओं के कारण प्रक्षेपण के कुछ घंटे पहले इसे रोक दिया गया।
- अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण यान से पृथक होने के तुरंत बाद अंतरिक्ष यान की सौर शृंखला यानी सोलर ऐरे (Solar Array) स्वचालित रूप से तैनात हो गई तथा बंगलुरु स्थित इसरो टेलिमिट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (ISRO Telemetry, Tracking and Command Network- ISTRAC) ने अंतरिक्ष यान पर सफलतापूर्वक नियंत्रण स्थापित कर लिया।
- चंद्रयान-2 वास्तव में चंद्रयान-1 मिशन का ही नया संस्करण है। इसमें ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं। चंद्रयान-1 में सिर्फ ऑर्बिटर था, जो चंद्रमा की कक्षा में घूमता था। चंद्रयान-2 के जरिए भारत पहली बार चांद की सतह पर लैंडर उतारेगा। यह लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होगी। इसके साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर यान उतारने वाला पहला देश बन जाएगा। चंद्रयान के बारे में और जनना है तो नीचे क्लिक करके देखे |चंद्रयान-3