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अटलांटिक महासागर में डूबे टाइटैनिक (Titanic) जहाज :-
111 वर्ष पूर्व 15 अप्रैल, 1912 को अपनी पहली ही समुद्री यात्रा के दौरान बर्फ की विशाल चट्टान से टकरा कर अटलांटिक महासागर में डूबे टाइटैनिक (Titanic) जहाज का मलबा अभी भी महासागर में मैसाचुसेट्स के केपकॉड से लगभग 1450 किमी पूर्व में तथा न्यू फाउंडलैण्ड के सेंट जॉस से 640 किमी दक्षिण में लगभग 13000 फीट की गहराई में मौजूद है.
दुर्घटना के 73 वर्ष बाद टाइटैनिक का मलबा:-
इस दुर्घटना में लगभग 1500 व्यक्तियों की मौत हो गई थी. दुर्घटना के 73 वर्ष बाद टाइटैनिक का मलबा कनाडा के न्यू फाउंडलैण्ड द्वीप के निकट समुद्रतल से 13000 फीट नीचे मिला था. मलबे की जानकारी मिलते ही लोगों के मन में इसे देखने की जिज्ञासा होने लगी. लोगों को टाइटैनिक का मलबा पनडुब्बियों के जरिए दिखाने के लिए अमरीका की एक कम्पनी ओशनगेट एक्सपिडीशंस (Ocean Gate Expeditions) वर्ष 2021 से अभियान संचालित करती रही है, जो इस यात्रा के लिए प्रति यात्री 2.50 लाख डालर का शुल्क लेती है.
टाइटैनिक पोत का मलबा दिखाने गहरे समुद्र में गई पनडुब्बी दुर्घटनाग्रस्त :-
ऐसे ही एक निजी यात्रा पर 18 जून, 2023 को चालक सहित यात्रियों को लेकर निकली टाइटन (Titan) नाम की एक पनडुब्बी उसी दिन दुर्घटना का शिकार हो क गई, जिससे उसमें सवार सभी लोग मौत का शिकार बने. टाइटैनिक का मलबा दिखा कर वापस लाने में ओशनगेट एक्सपिडीशंस की पनडुब्बी का कुल आठ घण्टे का समय लगता है. इनमें 2 घण्टे की आने-जाने की यात्रा तथा 4 घण्टे तक टाइटैनिक पोत के मलबे के अवलोकन के शामिल हैं.
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18 जून, 2023 को पाँच यात्रियों को लेकर सेंट जॉन न्यू फाउंडलैण्ड (कनाडा) से टाइटैनिक टूरिज़्म पर रवाना हुई टाइटन पनडुब्बी से कंट्रोल रूम का सम्पर्क डेढ़ घण्टे बाद ही व टूट गया था, जिससे उसमें सवार लोगों की सुरक्षा को लेकर चिन्ताएं व्याप्त हो गई थीं. पनडुब्बी में उपलब्ध ऑक्सीजन 96 घण्टे के लिए ही पर्याप्त थी.
पनडुब्बी की तलाश एवं राहत मिशन के लिए व्यापक अभियान अमरीकी कोस्ट गार्ड व नौसेना द्वारा चलाया गया. यह अपने आप में अत्यधिक कठिन अभियान था, क्योंकि अमरीकी नौसेना की पनडुब्बियों सामान्यतः 800 फीट की गहराई तक ही जाती हैं, जबकि टाइटैनिक का मलबा 13000 फीट की गहराई पर है
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